कितना चाहा स्वयं को दर्पण यूँ ना छुपा तू जानता है उसे दर्पण तू बता..? कितना चाहा स्वयं को दर्पण यूँ ना छुपा तू जानता है उसे दर्पण तू बता..?
बहुत खूबसूरत बहुत खूबसूरत
रंगीन सपने , घने अँधेरे के जमीन पर ही फलते- फूलते हैं। रंगीन सपने , घने अँधेरे के जमीन पर ही फलते- फूलते हैं।
ना इत्तफ़ाकन... इत्तफ़ाक से। ना इत्तफ़ाकन... इत्तफ़ाक से।
पाँच पतियों वाली का कटाक्ष, बना द्रोपदी का उपहास, पाँच पतियों वाली का कटाक्ष, बना द्रोपदी का उपहास,
काले, रूखे और बेजान केशों के जालों में। काले, रूखे और बेजान केशों के जालों में।